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लेखनी कहानी -28-May-2022

हिम्मत नहीं...
मैं टूटा हुं, टूटा ही रहने दो,
फिर से जुड़कर, टूटने की हिम्मत नही...

मैं बिखरा हुं, बिखरा ही रहने दो,
फिर से समेट कर, बिखरने ही हिम्मत नही ...

मैं रूठा हुं, रूठा ही रहने दो,
फिर से मना कर, रूठने की हिम्मत नही...

मैं हारा हुं, हारा ही रहने दो, 
फिर से जीता कर, हारने की हिम्मत नही....

मैं भटका हुं, भटका ही रहने दो,
फिर से राह दिखाकर, भटकने की हिम्मत नही...

मैं गिरा हुं, गिरा ही रहने दो,
फिर से उठाकर, गिरने की हिम्मत मुझे में नहीं...

मैं भंवर में फंसा हुं, फसा ही रहने दो,
फिर से सुलझा कर फसाने की हिम्मत नही...

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13 Comments

Shnaya

31-May-2022 09:33 PM

शानदार प्रस्तुति 👌

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Priyanka Rani

30-May-2022 05:49 PM

Nice

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Seema Priyadarshini sahay

29-May-2022 11:05 PM

बेहतरीन

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